271 मनुष्यों मे होने वाले कुछ जीवाणु जनित रोग- क्षय, हैजा, डिप्थीरिया, टायफाइड, न्यूमोनिया, टिटनेस (धनु रोग), काली खांसी, सिफलिस आदि हैं |
272 कुछ प्रमुख रोग एवं उससे प्रभावित अंग :
रोग प्रभावित अंग
मलेरिया तिल्ली एवं RBC
डिप्थिरिया श्वास नली
जुकाम श्वसन मार्ग
काली खांसी श्वसन तंत्र
खसरा श्वसन मार्ग
क्षय रोग फेफडा
इंफ्लुएंजा श्वसन मार्ग
निमोनिया फेफडा
चेचक त्वचा,श्वसन मार्ग
सिफलिस शिश्न
पीलिया यकृत
पायरिया मसूढे
एड्स प्रतिरक्षा तंत्र
टायफाइड आंत
रेबीज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
पेचिस आंत
टिटनेस तंत्रिका तंत्र
हैजा आंत
पोलियो निगल द्वार,आंत,रीढ रज्जु
हेपेटाइटिस यकृत
273 फाइलेरिया रोग के कृमि का संचरण क्यूलेक्स मच्छरों के दंस से होता है | इस रोग मे पैरों, वृषण कोषों तथा शरीर के अन्य भागों मे सूजन हो जाती है | इसे हाथी पांव भी कहते हैं |
274 दमा एक संक्रामक रोग है |
275 एड्स HIV नामक वाइरस से फैलता है | AIDS= Acquired Immuno Deficienoy Syndrome .
276 डेंगू ज्वर मादा मच्छर के काटने से होता है |
277 चिकन गुनिया दुर्बल बनाने वाली गैर घातक बीमारी है | यह मच्छर के काटने से फैलता है | मनुष्य ही इसके वाइरस का मुख्य स्रोत है | मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटकर अन्य व्यक्ति को काटता है जिससे यह बीमारी फैलती है |
278 वर्णांधता तथा हीमोफिलिया से मुख्यत: पुरूष प्रभावित होते हैं | इन रोगों की वाहक स्त्रियां होती हैं |
279 पटाऊ सिंट्रोम के रोगी का ऊपर का होठ बीच से फट जाता है तथा तालु मे दरार हो जाती है |
280 बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले टीके :
बीमारी बी.सी.जी.
तपेदिक (क्षय या टी.बी.) रोग से बचाव के लिए ओ.पी.वी.
पोलियो से बचाव के लिए डी.टी.
टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए डी.पी.टी
टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए टी.टी
टिटनेस से बचाव के लिए, गर्भवती महिलाओं को |
281 भैंस के दूध में वसा की औसत मात्र 7.2 प्रतिशत होती है जबकि गाय की दूध में 3 प्रतिशत से 7 प्रतिशत वसा होती है।
282 अल्फा-किरेटिन एक प्रोटीन है जो मानव त्वचा के बाहरी परत में पाया जाता है।
283 विटामिन C घाव के जल्दी भरने में सहायक होता है।
284 प्लाज्मा प्रोटीन का संश्लेषण यकृत (लीवर) में होता है।
285 लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण अस्थिमज्जा (Bone marrow) में होता है।
286 जेरोफ्थाल्मिया (Xerophthalmia) तथा रतोंधी विटामिन A की कमी के कारण होते हैं।
287 पाचन के दौरान स्टार्च को माल्टोज में एमाईलेज नामक एन्जाइम बदलता है।
288 रक्त की अशुद्धियों को kidneys (वृक्क) छानकर अलग करती हैं।
289 मनुष्य के गुणसूत्रों की संख्या 46 (23 जोड़ी) होती है।
290 हेपेटाइटिस-B वायरस पीलिया (jaundice) रोग के लिए जिम्मेदार है।
291 पीलिया लीवर की बीमारी है।
292 ओरल रिहाईड्रेशन सलूशन (O. R. S.) का प्रयोग दस्त और डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) होने पर किया जाता है।
293 इन्सुलिन अग्नाशय (pancreas) में बनता है जो रक्तशर्करा को पचाने में सहायक होता है।
294 इन्सुलिन की कमी से मधुमेह (डायबिटीज) नामक बीमारी होती है।
295 मानव भ्रूण का हृदय चौथे सप्ताह से धडकने लगता है।
296 दूध को पचाने के लिए आवश्यक एन्जाइम रेनिन और लैक्टोस मानव शरीर में 8 वर्ष की आयु में लुप्त हो जाते हैं।
297 विटामिन D को हार्मोन माना जाता है।
298 खुराक में प्रोटीन की अत्यधिक कमी से क्वशिओर्कोर (Kwashiorkor) बीमारी हो जाती है।
299 पशुओं में खुर एवं मुंह पका बीमारी वायरस के कारण होता है।
300 उत्परिवर्तन के द्वारा नयें जीवों की उत्पत्ति का सिद्धांत ह्यूगो डी व्रीज ने दिया।

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