हमारे भारत में एक ऐसी प्रथा है की जिस भी वस्तु की मांग ज्यादे होती है ब्यापारी वर्ग उसकी कीमत को ज्यादे कर देते है क्यों की वो जानते है की किसी भी कंडीशन में वह व्यक्ति उसे लेगा ही चाहे हो सस्ती हो या महँगी .
सीधा यही प्रभाव हमारे भारत देश में भी है हमारा देश अन्य देशो से भी व्यापर करता है जैसे की एक व्यापारी दूसरे व्यापरी से करता है ठीक उसी प्रकार भारत भी विदेशो से व्यापर करता है जिसे हम लोग अपनी भाषा में कहते है की हम इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट करते है
इम्पोर्ट क्या है ?
जब किसी वस्तु को हम दूसरे देशो से मंगाते है तो हम उसे हम अपने सब्दो में कहेंगे की हमने इस वस्तु को इम्पोर्ट कराया हुआ है . जैसे :- तेल हम इराक से इम्पोर्ट करते है .एक्सपोर्ट क्या है ?
जब हम किसी वस्तु को किसी दूसरे देशो को बेचते है तो हम उसे एक्सपोर्ट करना कहते है .जैसे : कपडे- संयुक्त राज्य अमेरिका ने कई देशो से करारा किया हुआ है की आप किसी भी देश यदि इम्पोर्ट या एक्सपोर्ट करते है तो आप का लेन देन डॉलर में होना चाहिए .
- जब कोई देश किसी देश से कर्ज लेता है और समय से उसके ब्याज और मूलधन को वापस नहीं करता है तो समझौते की मुताबिक कर्ज देने वाला देश अपने देश की मुद्रा का rate अधिक कर देता है .
- पुरे विश्व में सबसे प्रचलित मुद्रा यदि कोइ है तो वह है डॉलर .
- विश्व शेयर मार्किट में यदि किसी देश का सबसे ज्यादे शेयर है तो वह है अमेरिका का जिसका मुद्रा है डॉलर .
- अमेरिका एक ऐसा देश जिसकी मुद्रा डॉलर है वह सभी देशो को सबसे ज्यादे एक्सपोर्ट करता है उसके बदले में डॉलर ही Accept करता है .
- भारत एक ऐसा देश है जहा पर केवल इम्पोर्ट ज्यादा है एक्सपोर्ट के मुकाबले ,जिसका मुद्रा रुपया है .
तो आपने देखा की हर जगह पर जब भी लेन देन की बात आती है तो डॉलर में होता है
जैसे :- हम जब इराक से तेल लेते है तो जो इराकी मुद्रा दीनार है तो तेल की कीमत इराकी दीनार में ख़रीदा जाता है लेकिन जब भारत इराक को पैसे देता है तो डॉलर के रूप में देता है.
आज एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भरा में कितनी है
इन सभी बिन्दुओ से हमें लगता है की वैश्विक स्तर पर डॉलर की कीमत इन्ही वजहों से अधिक है जब की अन्य देशो की मुद्रा की कीमत डॉलर के मुकाबले कम है
रुपया डॉलर के मुकाबले कब महंगा होगा ?
यदि हम अपने पोस्ट के ऊपर दिए हुए बिन्दुओ को ध्यान देकर समझने की कोशिश करे तो शायद क्या शत प्रतिशत हम रुपया को डॉलर के मुकाबले महंगा कर सकते है .सोचिये कैसे ?
- यदि हम अपने देश को importer न बनाकर एक्सपोर्टर बनाये , माना की सभी वश्तुओं को हम एक्सपोर्ट नहीं कर सकते लेकिन बहुत सी ऐसी वस्तुए है जो हम अपने देश में एक्सपोर्ट कर सकते है .
- बिदेशी वस्तुओ उपयोग न करे.
- यदि हम विदेशी वस्तु के उपयोग को बंद कर देंगे तो विदेशी company अपने देश भारत में आकर व्यापर करेंगे जिससे हमारा देश खुद बखुद एक्सपोर्टर हो जायेगा .
- जो कर्ज हमारे देश ने अन्य देशो से लिया है कम से कम उसका ब्याज यदि सही समय पर जमा होता है तो यह भी एक कामगार तरीका है .
- जब हमरा भारत देश आजाद हुआ तो हम तैतीस करोड़ की आबादी में रहते थे , लेकिन आज के हालत है कि हम एक सौ तैतीस करोड़ की आबादी में रहते है . कही न कही जनसँख्या भी रुपया को कमजोर बनाने में मदद गार साबित होती है
जब अपना देश भारत देश प्रथा से मुक्त हुआ अंग्रेजो से तब भारतीय मुद्रा रुपया अमेरिकी मुद्रा डॉलर के बराबर थी , और आजादी से पहले क्या था इसके बारे में तो हम सोच ही नहीं सकते क्यों की इसका अधिकार उस समय अंग्रेजो के पास था .
नोट :- भारत जितना भी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करता है उसे खर्च करने में खुद सक्छम है , जबकि चीन और अमेरिका जैसे देश इतना प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करते है की उनके ही देश में आम हो जाता है , यदि भारत जैसे देश इन देशो से माल इम्पोर्ट न करे तो इन देशो की मुद्रा ही क्या बहुत कुछ भारत के सामने शून्य भी महंगा होगा . इस टॉपिक में आपको सामान्य जानकरी दी गयी है , यदि इस टॉपिक को हम विश्तृत पूर्वक एक्सप्लेन करते है तो बहुत बड़ा हो जायेगा .
मुझे पूर्ण आशा है की आपको इस पोस्ट में के बारे में सही तरीके समझा पाया हूँ. आप सभी पाठको से अनुरोध है की आप इस पोस्ट को अपने फ्रेंड और रिश्तेदारों में शेयर करे शायद आप एक शेयर किसी मदद कर सके , किसी की तलाश पूरी हो जाये , मुझे आप सब की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मै और भी रोज नए नए जानकारी आपके साथ शेयर कर सकू.
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