181 रक्त एक सरल संयोजी ऊतक है |
182 रूधिर का कार्य आक्सीजन को फेफडों से शरीर के सभी भागों में पहुंचाना तथा कार्बन डाई आक्साइड को शरीर के भागों से फेफडे तक लाना है |
183 रक्त एक क्षारीय विलयन है जिसका PH मान 7.4 होता है |
184 मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार का लगभग 7 से 8 प्रतिशत तक होती है |
185 महिलाओं मे पुरूषों की तुलना मे आधा लीटर कम रक्त होता है |
186 पचे हुए भोजन एवं हार्मोन का शरीर में संवहन प्लाज्मा के द्वारा होता है |
187 लाल रक्त कण (RBC) का जीवन काल 100 से 120 दिन का होता है | इसमें हीमोग्लोविन होता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है
188 हीमोग्लोबिन मे पाया जाने वाला लौह यौगिक हीमैटिन है |
189 RBC का मुख्य कार्य शरीर की हर कोशिका मे आक्सीजन पहुंचाना तथा कार्बन डाई आक्साइड बाहर लाना है |
190 हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर रक्त क्षीणता (एनीमिया) नामक रोग हो जाता है |
191 रक्त शरीर के ताप का नियंत्रण तथा शरीर को रोगों से रक्षा करने का कार्य करता है |
192 रक्त का थक्का बनने के लिए अनिवार्य प्रोटीन फाइब्रिनोजन है |
193 श्वेत रूधिर कणिकाएं हानिकारक जीवाणुओं एवं विषाणुओं का भक्षण करती हैं |
194 रूधिर की प्लेट्लेट्स कणिकाएं स्थान या घाव पर रूधिर का थक्का बनाकर उसकी रक्षा करती हैं |
195 रूधिर शरीर मे जल संतुलन को बनाये रखता है |
196 रक्त समूह की खोज कार्ल लैंड स्टीनर ने किया था | इसके लिए 1930 ई. में उन्हे नोवेल पुरस्कार मिला |
197 मनुष्य के रक्तों की भिन्नता का मुख्य कारण लाल रक्त कण (RBC) मे पायी जाने वाली ग्लाइको प्रोटीन है, जिसे एण्टीजन कहते हैं |
198 जिसमे दोनों (A तथा B) मे से कोई एण्टीजन नहीं होता है, वह रूधिर वर्ग O कहलाता है |
199 रक्त समूह O को सर्वदाता रक्त समूह कहते हैं |
200 रक्त वर्ग A B को सर्वग्रहता रक्त समूह कहते हैं, क्योंकि इसमे कोई एण्टीबाडी नही होता है |
रूधिर वर्ग एण्टीजन (RBC मे) एण्टीबाडी (प्लाज्मा मे)
A केवल A केवल b
B केवल B केवल a
AB A,B दोनों कोई नहीं
O कोई नहीं a एवं b दोनों
201 इंसुलिन ग्लुकोज से ग्लाइकोजिन बनाने की क्रिया को नियंत्रित करता है |
202 इंसुलिन के अल्प स्रवण से मधुमेह नामक रोग होता है |
203 रूधिर मे ग्लूकोज की मात्रा बढना मधुमेह कहलाता है |
204 शरीर से हृदय की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को ‘शिरा’ कहते हैं |
205 शिरा मे अशुद्ध रक्त अर्थात कार्बन डाई आक्साइड युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोरीन शिरा है |
206 पल्मोरीन शिरा फेफडे से बायें अलिंद मे रक्त को ले जाती है , इसमे शुद्ध रक्त होता हैं |
207 हृदय से शरीर की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को धमनी कहते हैं |धमनी मे शुद्ध रक्त अर्थात आक्सीजन युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोनरी धमनी है, पल्मोनरी धमनी दाहिने निलय से फेफडे मे रक्त पहुंचाती है , इसमे अशुद्ध रक्त होता है |
208 हृदय के दायें भाग मे अशुद्ध रक्त तथा बायें भाग मे शुद्ध रक्त होता है |
209 शरीर से अशुद्ध रक्त दाया अलिंद से दाया निलय फिर फेफडे मे जाता है |
210 शुद्ध रक्त फेफडे से बायां अलिंद,बायां अलिंद से बायां निलय फिर शरीर मे प्रवेश करता है |

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