कम्पुटर का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है. पहले मनुष्य गणना के लिए अपनी उंगलियों का उपयोग करता था. परन्तु तकनीक विकास ने तीव्र कंप्यूटरिंग की मांग की . इसी मांग ने कंप्यूटर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया . चीन में एक गणना मशीन अबेकस का अविष्कार हुआ. यह मशीन चीन , जापान सहित एशिया के अनेक देशो में अंको की गणना के लिए काम करती है. मनुष्य आरम्भ से ही सभ्यता के विकास में एक महत्पूर्ण भूमिका निभाता रहा है. अन्य सभी प्राणियों की विकाशील अपेछा मनुष्य में सुनियोजित कार्य संपादन , जीवन शैली और निरंतर खोज एवं अविष्कार करने की प्रवृति अधिक तीव्र होती है . इसी कारण विभिन्न युगों में मनुष्य ने नए अविष्कार करते हुए मानव जाती को एक विकसित रूप दिया है.इन सभी उपलब्धियों में से कम्पुटर एक विज्ञानं का विषय कम्पुटर मशीन और इससे सम्बंधित सभी तकनीको के विकास ने विकास दर को उतेजित किया है . और विकास को एक नयी एवं तीव्र गति प्रदान की है . कम्पुटर को आरंभ में गडना करने के लिए विकसित किया गया था . परन्तु आज कम्पुटर की सहायता से लगभग सभी छेत्रो में कार्य संपन्न किये जाने लगे है . कम्पुटर के इतिहास को हम दो भागो में विभाजित कर सकते है . 

कम्पुटर के मेकेनिकल विकास का इतिहास 

पहला मेकेनिकल कैलकुलेटर सन 1663 में विलियम स्किकहार्ड जो की तुबिनगन यूनिवर्सिटी में प्रोफेस्सर थे , ने बनाया था. परन्तु यह मशीन बहुत अधिक प्रचलित नहीं हुयी . पहला प्रचलित मेकेनिकल कैलकुलेटर सन 1642 में महान फ्रेंच फिलोसपर व वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल ने बनाया था . इसके बाद सन 1971 में जर्मन फिलोसपर व वैज्ञानिक गोटफ्रिड लिबनिज ने पास्कल की मशीन को और अधिक विकसित कर इस तरह से बनाया था की वह गुणा व भाग भी कर सके.
कम्पुटर का इतिहास : कम्पुटर के मेकेनिकल विकास का इतिहास


सन 1823 में एक ऑटोमेटिक मल्टीस्टेप कैल्कुलेसन मशीन जिसका नाम डिफरेंस इंजन था . चार्ल्स बैबेज ने बनाया था . उसकी यह मशीन फंक्शन के टेबल जैसे एल्गोरिदम व त्रिकोणमिति इत्यादि को हल करने में सक्षम थी . इसे बाद में और विकसित किया गया . व "एनालिटिकल इंजन " नाम दिया गया . और यही मोडले हमारे आज  के डिजिटल कम्पुटर का आधार था . तथा इसमे निम्न अवयव थे .

  1. प्रोसेसिंग सेक्सन (क्रिया करने वाला भाग) जिसे MILL कहा गया था.
  2.  मेमोरी यूनिट (जिसकी छमता थी 1000 नंबर्स की)
  3. इनपुट/आउटपुट उपकरण(जैसे- पंचकार्ड रीडर, कार्ड पंच, प्रिंटर इत्यादि)

पंचकार्ड ट्यूबलेटिंग मशीन जो की "हर्मन हालेरिथ" ने बनायीं थी.  को अमेरिका में 1890 की जनगणना के लिए व्यावसायिक रूप से उपयोग किया गया था. इस मशीन की अपार सफलता के बाद उसने सन 1896 में एक ट्यूबलेटिंग मशीन कम्पनी बनायीं. फिर सन 1911 में उसकी कई दूसरी कम्पनीयो के साथ मिल गयी व कंप्यूटिंग टेब्युलेटिंग रिकार्ड कम्पनी का निर्माण हुआ , लेकिन कुछ  ही वर्षो बाद सन 1924 में इस कम्पनी का नाम बदलकर IBM(इंटरनेशनल बिजनेस मशीन) कर दिया गया.
मेकेनिकल  कम्पुटर सन 1930 के दशक में बनना शुरू हुए . Z1 एक बायनरी नंबर सिस्टम पर आधारित कम्पुटर था जिसे "कोनार्ड जुसे" ने सन 1938 में जर्मनी में बनाया था. सन 1941 में Z3 कम्पुटर बना जिसमे अंकगणितीय इकाई बनाने के लिए इलेक्ट्रो -मेकेनिकल बायनरी स्विचेस के रूप में "रिलेस" का उपयोग किया गया . मई सन 1944 में "हार्वर्ड यूनिवर्सिटी" के प्रोफ़ेसर "हार्वर्ड आईकन" ने IBM के साथ मिलकर पहला इलेक्ट्रो-मेकेनिकल डिजिटल कम्पुटर बनाया था. जो ऑटोमेटिक सिक्वेंस कैलकुलेटर था उसका नाम "हार्वर्ड मार्क - 1" था.

Post a Comment

Blogger

Your Comment Will be Show after Approval , Thanks

Ads

 
[X]

Subscribe for our all latest News and Updates

Enter your email address: