451 वृक्क प्रत्यारोपण में भार्इ या अत्यधिक निकट सम्बन्धी का वृक्क ही लिया जाता है, क्योकि दोनों के वृक्को का अनुवांशिक संगठन एक जैसा होता है।
452 मानव एक मिनट में 16 से 18 बार सांस लेता हैैं
453 स्तनी प्राणियों में डायाफ्राम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य श्वास विधि में सहायता करना हैं
454 जब कोर्इ व्यकित सांस लेता है तो आक्सीजन रूधिर में हीमोग्लोबिन से संयोग करती है।
455 श्वसन गुणांक आर0क्यू0 का तात्पर्य उत्पादित कार्बन डाइ-आक्साइड तथा प्रयोग में आर्इ आक्सीजन का अनुपात है।
456 डी0एन0ए0 कुण्डल रचना वाटसन एवे कि्र्क ने बतायी थी।
457 आर0एन0ए0 में डी0एन0ए0 यूरेसिल तत्व के कारण भिन्नता होती है
458 जैव प्रौधोगिकी विभाग विज्ञान एवं प्रौधोगिकी मन्त्रालय के अधीन है।
459 कृत्रिम निषेचन के लिए सांड के वीर्य को द्रव नाइट्रोजन में संचित करते है।
460 भ्रूण की जानकारी के लिए सोनोग्राफी विधि सर्वश्रेष्ठ है।
461 एन0एम0आर0 चुम्बकीय अनुनाद पर आधारित हैं।
462 जीवन की उत्पत्ति जल में हुर्इ।
463 मेथेन, हाइड्रोजन, जल तथा अमोनिया ने अमीनो अम्ल का निर्माण किया था, यह स्टैन्ले मिलर ने सिध्द किया ।
464 रचना व कार्य दोनों में समान समरूप अंग होते है।
465 लिंगी गुणसूत्र केा छोडकर अन्य गुणसूत्र आटोसोम के नाम से जाने जाते है।
466 फास्फोरस डालने से पौधो के विकास मे सहायता मिलती हैै।
467 पर्ण हरित का पौधे में सूर्य के प्रकाश को अवषोशित करके शर्करा का भण्डार करने में प्रयोग किया जाता है।
468 लाइगेज नाम एन्जाइम का उपयोग डी0एन0ए0 के टुकडों को जोडने के लिए किया जाता है।
469 डी0एन0ए0 में शर्करा डीआक्सीराइबोज में होती है।
470 ऊतक संवद्र्वन के दो पाइलट संयन्त्रों की सािपना नर्इ दिल्ली व पुणे में की गर्इ।
471 वष्पोत्सर्जन में पत्तियों से पानी वाष्प के रूप में निकलता है।
472 पेशी में संकुचन कारण मायोसिन व एकिटन है।
473 काष्ठ का सामान्य नाम द्वितीयक जाइलम है
474 हदय की धडकन को नियन्त्रित करने के लिए पेसमेकर इस्तेमाल किया जाता है।
475 सिनैपिसस तन्त्रिका एवं दूसरी तन्त्रिका के बीच होता है।
476 अदरक एक तना है जड नही, क्योकि इसमें पर्व व पर्वसन्धिया होती है।
477 प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के भीतर तथा बाहर, जल एवं कुछ विलयों के मार्ग का नियन्त्रण करती है।
478 फलीदार पादप कृषि में महत्वपूर्ण है क्योकि नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जीवाणु का उनमें साहचर्य होता है।
479 प्रत्येक गुण सूत्र में कर्इ जीन्स होते है।
480 फाइबि्रनोजन , रूधिर में विधमान व यकृत में बनता है।


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