पृथ्वी के चारों ओर सघन वायुमंडल है जो कि सूर्य के प्रकाश के चारों ओर बिखेर देता है जिससे दिन में आकाश चमकदार हो जाता है तथा तारे दिखाई नहीं देते है जबकि चाँद पर जहाँ वायुमंडल नहीं है वहाँ दिन में भी तारे देखे जा सकते हैं।
तारा क्या है ?
तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं।
तारो के नाम कैसे रखे जाते है ?
कुछ चमकते तारों के समूह आकाश को विभिन्न भागों में बाँट देते हैं। इन तारों के समूह को तारामंडल (constellations) कहते हैं। पूरे आकाश को 89 तारामंडलों में विभक्त करके उन तारामंडलों के नाम रख दिए गए हैं। राशिचक्र के तारामंडल बहुत प्रसिद्ध हैं, इनकी संज्ञा मेष, वृष आदि है। किसी एक तारामंडल के तारों को उनके दृश्य (visual) कांतिमान (magnitude) के अवरोह क्रम में चुन लिया जाता है। फिर तारामंडल के नाम के आगे ग्रीक भाषा के अक्षर रखकर तारों का नामकरण किया जाता है, जैसे मेष राशि के सबसे चमकीले तारे का नामकरण एल्फातरीज़ किया गया है। कुछ तारामंडलों में तारों की संख्या इतनी अधिक है कि ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों की संख्या उनके लिए कम पड़ जाती है। ऐसे तारों के नामकरण के लिए तारामंडल के पूर्व लैटिन अक्षर तथा आवश्यकता पड़ने पर संख्याएँ लिख देते हैं। कुछ तारे अतिप्रकाशित होने के कारण अतिप्रसिद्ध हैं तथा उनके नाम तारामंडलों के संदर्भ के बिना भी जाने जा सकते हें, जैसे लुब्धक (Sirius), मघा (Regulus), चित्रा (Spica) आदि। इस प्रकार के नामकरण से तारों को पहचानने में सहायता मिलती है।
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